जानिए-कब जरूरी है मिलना स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनोकोलॉजिस्ट) से?

जानिए-कब जरूरी है मिलना स्त्री रोग विशेषज्ञ (गायनोकोलॉजिस्ट) से?

  1. अनियमित पीरियड : शालिनी को दस दिन पहले पीरियड आ जाने चाहिए थे। जब हमारे पीरियड पहली बार शुरू होते हैं उसके कुछ सालों के भीतर हमें हमारे पीरियड के नेचर का अंदाजा हो जाता है। जैसे हमारे पीरियड इतने दिन तक चलेंगे और इतनी मात्रा में होते हैं और इतने दिन के अंतराल में आने चाहिए। जैसे ही कुछ अलग होता है जैसा अपनी शालिनी के साथ हुआ हमारी चिंता बढ़ जाती है। औसतन किसी भी महिला का पीरियड आने का अंतराल 28 दिन का होता है और यह 3 से 4 दिन तक होता है। परंतु महिलाओं में बल्कि मेरी सहेलियों में ही पीरियड अलग प्रकार के होते थे।
  2. युरिनरी समस्याएं : मेरी एक और सहेली सीमा को बार-बार बाथरूम जाना पड़ता था। इसी चक्कर में उसने डॉक्टर को दिखाया। पता चला कि उसे युरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (मूत्र पथ के संक्रमण) है। इस इंफेक्शन का एक और लक्षण होता है जिससे कम मात्रा में पेशाब आती है, करते समय दर्द होता है और कभी-कभी जलन भी होने लगती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है और पेशाब बदबूदार हो जाती है। इसी समस्याएं आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
  3. असामान्य वाइट डिस्चार्ज (सफेद पदार्थ निकलना) : लगभग सभी महिलाओं में थोड़ा सफेद पदार्थ गुप्तांग (वजाइना) से निकलता है जो कि बिल्कुल सामान्य है। इसके द्वारा हमारे वजाइना और सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की सफाई होती है। इसकी मात्रा बढ़ जाती है जब महिलाओं में ऑव्यूलेटिंग (अण्डोत्सर्ग करना ovulating) होती है। इसके अलावा स्तनपान कराने वाली और भावनात्मक बदलाव महसूस करने पर भी सफेद पदार्थ बढ़ जाता है।
  4. अनियंत्रित रक्त रिसाव : वजाइना से ऐसे समय में खून आना जब पीरियड का समय न हो किसी बडी समस्या के आगमन की सूचना हो सकती है। तुंरत ही डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। संबंध बनाने के बाद खून दिखना युटेरिन (गर्भाशय) की परत में हल्के घाव के कारण हो सकती है या अन्य कोई कारण भी इसकी वजह बन सकता है। इस तरह खून दिखना युटेरिन पोलेप्स (uterine polyps), फिब्रॉइड्स (fibroids), इंफेक्शन और सर्विकल या युटेरिन कैंसर की वजह से हो सकते हैं। समस्या बहुत गंभीर हो जाती है अगर इसमें लापरवाही बरती जाए। खासतौर से गर्भवती महिलाओं को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
  5. असमान्यतौर पर अचानक से रक्त का बहाव बढ़ जाना : अगर पीरियड के दौरान भी बहुत ज्यादा स्त्राव होने लगे तो बात चिंता की हो सकती है। यह हार्मोन में बदलाव, फिब्रॉइड्स, पोलेप्स, एडोनोम्योसिस, पेल्विक में सूजन और एंडोमेट्रीओसिस के कारण हो सकता है। इससे शरीर में थायराइड, एनीमिया, लिवर और किडनी की बीमारियों का भी पता चलता है। मेरी सहेली फातिमा को डॉक्टर ने ब्लैकस्ट्रेप मोलेसेस दिए थे जिसमें लाल रक्त सेल को बढ़ाने की क्षमता होती है। ज्यादा खून बह जाने पर उसकी पूर्ति करना जरूरी हो जाती है।
  6. बहुत ज्यादा पसीना आना : 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में अगर अचानक से ज्यादा पसीना आने की समस्या सामने आए तो यह डॉक्टर के पास जाने का इशारा हो सकता है। चाहे आप जाग रहीं हो या सो रहीं हो ज्यादा पसीना आना आपके पीरियड खत्म होने की यानी मेनोपोज अवस्था की दस्तक हो सकता है। इसके अलावा अनियमित पीरियड, वजाइना में सूखापन, मूड में बदलाव और नींद में कमी भी मेनोपोज के लक्षण हो सकते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ जांच के बाद सही कारण और सही इलाज बता देंगी और आप हो जाएंगी बिल्कुल तंदुरूस्त।

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